Chapter 21: बूढ़ी काकी (पूरक पठन)
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कृति पूर्ण कीजिए

गुण | पात्र |
---|---|
१. क्रोधी | रूपा |
२. लालची | बुद्धिराम |
३. शरारती | दोनों लड़के |
४. स्नेहिल | लाड़ली |
बूढ़ी काकी को ललचाने वाले व्यंजन

- पूड़ियाँ
- मसालेदार तरकारी
- कचौड़ियाँ
- रायता
बुद्धिराम का काकी के प्रति दुर्व्यवहार
दुर्व्यवहार दर्शाने वाली चार बातें:

- बूढ़ी काकी की संपत्ति अपने नाम लिखाते समय किए गए लंबे-चौड़े वादों को बुद्धिराम द्वारा न निभाना।
- बूढ़ी काकी को भरपेट भोजन न देना।
- भोजन कर रहे मेहमानों के बीच रेंगती हुई बूढ़ी काकी के पहुँच जाने पर बुद्धिराम द्वारा निर्दयतापूर्वक पकड़कर उनकी कोठरी में ले जाकर पटक देना।
- बूढ़ी काकी के व्यवहार से रुष्ट होने के कारण तिलक उत्सव में सभी मेहमानों और घरवालों के भोजन कर लेने के बाद भी बुद्धिराम द्वारा उन्हें खाने के लिए न पूछना।
कारण लिखिए

१. बूढ़ी काकी ने भतीजे के नाम सारी संपत्ति लिख दी
बूढ़ी काकी के परिवार में अब एक भतीजे के सिवाय और कोई नहीं था, इसलिए उन्होंने भतीजे के नाम सारी संपत्ति लिख दी।
२. लाड़ली ने पूड़ियाँ छिपाकर रखीं
लाड़ली उन पूड़ियों को बूढ़ी काकी के पास ले जाना चाहती थी, ताकि वे उन्हें खा सके।
३. बुद्धिराम ने काकी को अँधेरी कोठरी में धम से पटक दिया
बूढ़ी काकी रेंगती हुई भोजन कर रहे मेहमान मंडली के बीच पहुँच गई थी। इससे कई लोग चौंककर उठ खड़े हुए थे। बुद्धिराम को इससे गुस्सा आया और उसने काकी को वहाँ से उठाकर कोठरी में ले जाकर धम से पटक दिया।
४. अंग्रेजी पढ़े नवयुवक उदासीन थे
अंग्रेजी पढ़े नवयुवक उदासीन थे, क्योंकि वे गँवार मंडली में बोलना अथवा सम्मिलित होना अपनी प्रतिष्ठा के प्रतिकूल समझते थे।
सूचना के अनुसार शब्द में परिवर्तन कीजिए

- विलोम: बूढ़ा
- बहुवचन: बच्चे
- पर्यायवाची: बालक / लड़का
- लिंग: बच्ची
‘बुजुर्ग आदर-सम्मान के पात्र होते हैं, दया के नहीं’
इस सुवचन पर अपने विचार लिखिए।
हमें यह बात याद रखनी चाहिए कि आज जो व्यक्ति बुजुर्ग है वह हमेशा बूढ़ा और असहाय नहीं था। वह भी पहले युवा था। उसने अपने परिवार का पालन-पोषण और उसकी देखरेख की थी। उसने तरह-तरह की समस्याओं का सामना किया था और उन्हें अपने तरीके से हल किया था। उसे जीवन जीने का अनुभव है। लेकिन वृद्ध हो जाने पर किसी-किसी परिवार में बुजुर्गों को किनारे कर दिया जाता है। उनकी सलाह या सुझाव को कोई महत्त्व नहीं दिया जाता। इस तरह के व्यवहार से बुजुर्गों को अपने सम्मान पर ठेस लगती महसूस होती है। किसी-किसी परिवार में तो बुजुर्गों के खाने-पीने की भी किसी को चिंता नहीं रहती। घर के लोग अपने में मगन रहते हैं और बुजुर्गों का कोई ख्याल नहीं रखता। बुजुर्गों को खाने-पीने के लिए उनका मुँह ताकना पड़ता है। हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि हम इन बुजुगों की संतान हैं । उनको पर्याप्त सम्मान देना और उनकी हर प्रकार से देखरेख करना हमारा फर्ज है। बुजुर्गों की प्रसन्नता और उनके आशीर्वाद से ही परिवार फूलता-पे- फूलता और खुशहाल रहता है। इसलिए बुजुर्गों को हमें सदा आदर-सम्मान देना चाहिए और उनकी देखरेख करनी चाहिए।
प्रेरणार्थक क्रिया रूप
निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए :
अ.क्र. | मूल क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक | द्वितीय प्रेरणार्थक |
---|---|---|---|
१. | भूलना | भुलाना | भुलवाना |
२. | पीसना | पिसाना | पिसवाना |
३. | माँगना | मँगाना | मँगवाना |
४. | तोड़ना | तुड़ाना/तोड़ाना | तुड़वाना/तोड़वाना |
५. | बेचना | बेचाना | बेचवाना |
६. | कहना | कहाना/कहलाना | कहवाना/कहलवाना |
७. | नहाना | नहलाना | नहलवाना |
८. | खेलना | खेलाना/खिलाना | खेलवाना/खिलवाना |
९. | खाना | खिलाना | खिलवाना |
१०. | फैलना | फैलाना | फैलवाना |
११. | बैठना | बैठाना | बैठवाना |
१२. | लिखना | लिखाना | लिखवाना |
१३. | जुटना | जुटाना | जुटवाना |
१४. | दौड़ना | दौड़ाना | दौड़वाना |
१५. | देखना | दिखाना | दिखवाना |
१६. | जीना | जिलाना | जिलवाना |
पठित पाठों से प्रेरणार्थक क्रिया
किन्हीं दस मूल क्रियाओं का चयन करके उनके प्रेरणार्थक रूप लिखिए:
अ.क्र. | मूल क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक | द्वितीय प्रेरणार्थक |
---|---|---|---|
१. | मिलना | मिलाना | मिलवाना |
२. | चलना | चलाना | चलवाना |
३. | सुनना | सुनाना | सुनवाना |
४. | पकड़ना | पकड़ाना | पकड़वाना |
५. | लटकना | लटकाना | लटकवाना |
६. | करना | कराना | करवाना |
७. | तौलना | तौलाना | तौलवाना |
८. | रोना | रुलाना | रुलवाना |
९. | बनना | बनाना | बनवाना |
१०. | छोड़ना | छुड़ाना | छुड़वाना |
निबंध लेखन
‘मेरा प्रिय वैज्ञानिक’ विषय पर निबंध लेखन कीजिए।
मेरे प्रिय वैज्ञानिक डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम हैं, जिन्हें दुनिया 'मिसाइल मैन' के नाम से भी जानती है। इनका जन्म १५ अक्टूबर, १९३१ को तमिलनाडु राज्य में रामेश्वरम के धनुषकौड़ी नामक स्थान में एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए इन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने एवं घर के खर्च के लिए अखबार बेचना पड़ता था। इसी तरह संघर्ष करते हुए अब्दुल कलाम ने प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम तथा उसके बाद रामनाथपुरम के शर्वाटज हाईस्कूल से मैट्रिकुलेशन किया। उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए तिरुचिरापल्ली चले गए। वहाँ के सेंट जोसेफ कॉलेज से इन्होंने बी. एस. सी. की उपाधि प्राप्त की। उसके बाद १९५८ में इन्होंने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से एयरोनोटिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। इनका सपना एक दिन पायलट बनकर आसमान की अनंत ऊँचाइयों को नापने का था। इन्होंने पायलट की परीक्षा भी दी, पर इनका सपना साकार न हो सका। इस घटना से इन्हें निराशा जरूर हुई पर इन्होंने हार नहीं मानी।
सन १९६२ में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आए। जहाँ इन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एस.एल.वी. के निर्माण में भी इन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी प्रक्षेपण यान से जुलाई १९८० में रोहिणी उपग्रह का अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। अग्नि मिसाइल एवं पृथ्वी मिसाइल के सफल प्रक्षेपण का श्रेय इन्हीं को जाता है। इनकी देखरेख में भारत ने १९९८ में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया।
भारत सरकार ने इन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारतरत्न' से सम्मानित किया। ये ऐसे तीसरे राष्ट्रपति हैं, जिन्हें यह सम्मान राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ है। २००२ को इन्होंने भारत के ११ वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया। इन्होंने इस पद को २५ जुलाई, २००७ तक सुशोभित किया।
२७ जुलाई, २०१५ की शाम को डॉ. अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग में 'रहने योग्य ग्रह' पर व्याख्यान दे रहे थे। इसी दौरान इन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिससे इनका निधन हो गया। ये एक सच्चे देशभक्त के रूप में हमेशा याद किए जाएँगे।